देश में लैपटॉप्स, टैबलेट्स और पर्सनल कंप्यूटर्स के इम्पोर्ट पर हो सकती है पाबंदी, Apple और अन्य कंपनियों को लोकल मैन्युफैक्चरिंग पर मिलेगा जोर

भारत सरकार अगले साल की शुरुआत में लैपटॉप्स, टैबलेट्स और पर्सनल कंप्यूटर्स के इम्पोर्ट को सीमित करने की योजना बना रही है. इसका उद्देश्य देश में लोकल मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना है, जिससे Apple और अन्य प्रमुख डिवाइस निर्माताओं को अपने उत्पादों का उत्पादन भारत में करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. इस योजना के लागू होने पर यह लगभग 8-10 अरब डॉलर की इंडस्ट्री में बड़ा बदलाव ला सकती है.

सरकार का रुख और अगले कदम

Reuters की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार का मानना है कि उसने इस इंडस्ट्री को लोकल मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने के लिए पर्याप्त सुविधाएं दी हैं. एक सरकारी सूत्र ने बताया कि अगले हफ्ते इस मुद्दे पर इंडस्ट्री के स्टेकहोल्डर्स के साथ बातचीत शुरू की जा सकती है. हालांकि, यह योजना नई नहीं है. पिछले साल भी इसी प्रकार की योजना को लागू करने की कोशिश की गई थी, लेकिन इंडस्ट्री की कंपनियों के विरोध और अमेरिका की लॉबीइंग के कारण इसे रोकना पड़ा था.

उसके बाद सरकार ने एक सिस्टम के जरिए इन डिवाइसेज की निगरानी शुरू की, जिसका उद्देश्य इम्पोर्ट की स्थिति पर नजर रखना था. अब, जब इस सिस्टम की अवधि समाप्त हो रही है, सरकार इन कंपनियों से अगले साल इम्पोर्ट के लिए दोबारा अप्रूवल लेने की मांग कर सकती है.

बड़ी कंपनियों पर असर

भारत में लैपटॉप्स, टैबलेट्स और पर्सनल कंप्यूटर्स की कुल मांग का लगभग दो-तिहाई हिस्सा इम्पोर्ट के जरिए पूरा किया जाता है, और इसका एक बड़ा हिस्सा चीन से आता है. बड़ी कंपनियों में Apple, HP, Dell, Lenovo और Samsung शामिल हैं, जिन्हें इस नए नियम से सीधे प्रभावित होना पड़ सकता है.

कुछ महीने पहले Reuters ने रिपोर्ट दी थी कि अमेरिका की लॉबीइंग के बाद सरकार ने लैपटॉप से जुड़ी लाइसेंसिंग पॉलिसी को वापस ले लिया था. सूत्रों के अनुसार, लैपटॉप इम्पोर्ट पर प्रतिबंध लागू करने में देरी से अमेरिका को चिंता हुई थी, क्योंकि यह उनके व्यापार पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता था.

सरकार की मैन्युफैक्चरिंग योजनाएं

पिछले साल सरकार ने लैपटॉप, टैबलेट और पर्सनल कंप्यूटर्स की मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी योजना शुरू की थी. इस योजना के तहत, Dell जैसी कुछ कंपनियों के आवेदन स्वीकृत किए गए थे. इसके तहत, अगले छह वर्षों में लगभग 3.35 करोड़ रुपये के पर्सनल कंप्यूटर्स, सर्वर, लैपटॉप और टैबलेट्स के प्रोडक्ट्स की मैन्युफैक्चरिंग का अनुमान है.

Samsung, जो पहले से ही भारत में स्मार्टफोन्स का उत्पादन कर रही है, इस साल के अंत तक लैपटॉप की मैन्युफैक्चरिंग भी शुरू कर सकती है. कंपनी की फैक्टरी उत्तर प्रदेश के नोएडा में स्थित है, जहां से वह न केवल भारतीय बाजार में, बल्कि अन्य देशों में भी एक्सपोर्ट करती है.

निष्कर्ष

सरकार की इस नई योजना का उद्देश्य लोकल मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना और भारत को तकनीकी मैन्युफैक्चरिंग का हब बनाना है. अगर यह योजना सफल होती है, तो इससे देश की इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री में बड़ा बदलाव आ सकता है और यह न केवल रोजगार के नए अवसर पैदा करेगा, बल्कि भारत की आत्मनिर्भरता को भी मजबूती मिलेगी.

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