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अजब खोज : पृथ्वी से 700 किलोमीटर नीचे मिला सबसे बड़ा महासागर

पृथ्वी पर कुल 5 महासागर होते हैं, जिनके नाम हैं: प्रशांत महासागर, अटलांटिक महासागर, हिंद महासागर, आर्कटिक महासागर, और अंटार्कटिक महासागर. लेकिन वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक और महासागर की खोज की है, जो सभी महासागरों को मिलाकर उनसे तीन गुना बड़ा है. हैरान करने वाली बात यह है कि यह महासागर धरती से 700 किलोमीटर नीचे स्थित है.

रिपोर्ट्स के अनुसार, नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के मेंटल (Mantle) में इस छठे महासागर का पता लगाया है.

मेंटल क्या है?

पृथ्वी की तीन प्रमुख परतें होती हैं:

  1. सबसे ऊपरी परत, जिस पर जीवन, पानी और मिट्टी मौजूद है, इसे क्रस्ट (Crust) कहा जाता है.
  2. इसके नीचे एक खनिज पदार्थों से बनी परत है, जिसे मेंटल (Mantle) कहा जाता है.
  3. मेंटल के नीचे पृथ्वी का सबसे भीतरी हिस्सा है, जिसे कोर (Core) कहा जाता है, जो तरल पदार्थों से भरा हुआ है और बहुत गर्म है, जहां कोई भी वस्तु ठोस रूप में नहीं रह सकती है.

महासागर की खोज कैसे हुई?

धरती के 700 किलोमीटर अंदर महासागर का पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों ने सीस्मोग्राफ का उपयोग किया. सीस्मोग्राफ ऐसी तरंगें भेजती हैं, जो धरती के अंदर गहराई तक जाकर पृथ्वी की आंतरिक संरचना के बारे में जानकारी देती हैं. अमेरिका भर में सीस्मोग्राफ का इस्तेमाल करते हुए, वैज्ञानिकों ने 500 से अधिक भूकंप के झटकों का अध्ययन किया. इस अध्ययन से पता चला कि मेंटल से गुजरते समय एक निश्चित क्षेत्र में तरंगों की गति धीमी हो जाती है, जिससे यह संकेत मिला कि वहां चट्टानों के बीच पानी मौजूद है.

हालांकि, इसे सीधे तौर पर महासागर नहीं कहा जा सकता, क्योंकि यह पानी क्रिस्टल संरचना के अंदर फंसे वॉटर क्रिस्टल्स के रूप में है. वैज्ञानिकों का मानना है कि यह पानी पृथ्वी पर मौजूद महासागरों की स्थिरता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. अगर यह पानी सतह पर होता, तो हमारी पृथ्वी पर जमीन के रूप में केवल पहाड़ नजर आते.

निष्कर्ष:

यह खोज इस ओर इशारा करती है कि पृथ्वी की आंतरिक संरचना में भी ऐसे तत्व मौजूद हैं, जो सतह के महासागरों के संतुलन को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं.

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